इस वर्ष की कृष्ण जन्माष्टमी सिर्फ़ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, इतिहास, शास्त्र और आध्यात्मिक नवीनीकरण का अद्वितीय संगम बनने जा रही है।
16 अगस्त 2025 की निशीथ बेला में होने वाला “पावर-शिफ्ट मंडला” अनुष्ठान भक्ति के साथ-साथ जीवन की नकारात्मकताओं को समाप्त कर नई ऊर्जा का संचार करने का व्रत है।
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🕉 जन्माष्टमी का ऐतिहासिक महत्व
भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और आधी रात को हुआ था।
श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ, जब उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी को कंस ने बंदी बना रखा था।
शास्त्रों के अनुसार, श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, जिनका आगमन अधर्म के विनाश और धर्म की पुनः स्थापना के लिए हुआ।
भागवत पुराण, विष्णु पुराण और महाभारत में कृष्ण के जन्म, बाललीलाओं, गोपियों के साथ रास, और महाभारत युद्ध में अर्जुन को दिए गए भगवद्गीता के उपदेश का वर्णन मिलता है।
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📜 शास्त्रीय दृष्टि से जन्माष्टमी
भागवत महापुराण कहता है: “परित्राणाय साधूनाम्, विनाशाय च दुष्कृताम्” — भगवान का अवतार सच्चे भक्तों की रक्षा और दुष्टों के नाश के लिए होता है।
जन्माष्टमी की निशीथ पूजा काल (मध्यरात्रि) को मोक्षदायिनी बेला माना जाता है। इस समय पूजा, जप और ध्यान करने से न केवल पापों का क्षय होता है बल्कि मन और आत्मा शुद्ध होते हैं।
व्रत नियम: दिनभर उपवास, कृष्ण चरित्र का श्रवण, रात्रि में जन्म समय पर अभिषेक, झूला-झूलाना, और रात्रि जागरण।
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🌟 “पावर-शिफ्ट मंडला” — 2025 का नया आध्यात्मिक अनुष्ठान
विकासकर्ता: वेदाचार्य शिव अमित खन्ना।
समय: 16 अगस्त 2025, रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक।
उद्देश्य: जीवन की बाधाओं, मानसिक उलझनों और नकारात्मक चक्रों को समाप्त कर नए अवसर, साहस और शांति को आमंत्रित करना।
ज्योतिषीय आधार: यह अनुष्ठान जन्मपत्री के आठवें भाव की ऊर्जा को सक्रिय करता है, जो पुनर्जन्म, परिवर्तन और नई शुरुआत का सूचक है।
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🗓 इस वर्ष का पर्व-समय
अष्टमी तिथि आरंभ: 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे।
अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, शाम 9:34 बजे।
निशीथ पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त, रात 12:04 बजे से 12:47 बजे।
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🌏 दुनियाभर में उत्सव
मथुरा-वृंदावन: भव्य झांकियां, रासलीला, मंदिरों में दीप सजावट, और हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब।
महाराष्ट्र: दही-हांडी प्रतियोगिता, जिसमें गोविंद मंडल ऊँचे पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ते हैं।
नेपाल (पाटन दरबार स्क्वायर): पारंपरिक नृत्य, भजन-कीर्तन और सामूहिक आरती।
विदेशों में ISKCON मंदिर: अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और अफ्रीका में कृष्ण भक्ति के रंग—कीर्तन, महाप्रसाद और आध्यात्मिक प्रवचन।
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🔮 ज्योतिषीय संकेत
इस वर्ष की जन्माष्टमी पर चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का विशेष संयोग धन, सुख और पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि का संकेत देता है।
कुछ राशियों के लिए यह समय करियर, व्यवसाय और आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ माना जा रहा है।
🪔 सार
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 में परंपरा, इतिहास, शास्त्र और आधुनिक आध्यात्मिक प्रयोग का दुर्लभ संगम देखने को मिलेगा।
जहां एक ओर हम श्रीकृष्ण की लीलाओं और उपदेशों को याद करेंगे, वहीं “पावर-शिफ्ट मंडला” जैसे नवीन अनुष्ठान से जीवन में नया जोश और सकारात्मक परिवर्तन लाने का अवसर भी मिलेगा।