Netflix पर हर हफ्ते 6 करोड़ घंटे भारतीय कंटेट देख रहे हैं लोग, दुनिया भर के लोगों को भारत की कहानियां आ रही पसंद


 

कंपनी के सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी टेड सारांडोस ने बताया कि 2021 से 2024 तक नेटफ्लिक्स के भारत में निवेश ने 2 अरब डॉलर का स्थानीय आर्थिक प्रभाव पैदा किया।

अमेरिका की मशहूर OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स ने भारत में अपनी कहानियों के जरिए बड़ा बदलाव लाया है। कंपनी के सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी टेड सारांडोस ने बताया कि 2021 से 2024 तक नेटफ्लिक्स के भारत में निवेश ने 2 अरब डॉलर का स्थानीय आर्थिक प्रभाव पैदा किया। इस दौरान कंपनी के प्रोडक्शंस ने भारत में 20,000 कलाकारों और क्रू मेंबर्स के लिए नौकरियां बनाईं।

वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) में एक चर्चा के दौरान सारांडोस ने कहा कि नेटफ्लिक्स ने हमेशा स्थानीय कहानियों पर ध्यान दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल नेटफ्लिक्स पर भारतीय कंटेंट को दुनियाभर में 3 अरब घंटे तक देखा गया। यानी हर हफ्ते औसतन 6 करोड़ घंटे का भारतीय कंटेंट देखा गया। इसके अलावा, 2024 में हर हफ्ते भारत का कोई न कोई शो या फिल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद थी। कई भारतीय टाइटल्स ने इस साल कंपनी के वैश्विक टॉप 10 चार्ट्स में भी जगह बनाई।

भारतीय सिनेमा की ताकत और वैश्विक संभावनाएं

सारांडोस ने भारत की सिनेमाई संस्कृति की तारीफ करते हुए कहा कि भारतीय लोग सिनेमा से बहुत प्यार करते हैं। वे न सिर्फ सिनेमाघरों में फिल्में देखते हैं, बल्कि टीवी पर भी इसका आनंद लेते हैं और इसके बारे में खूब बात करते हैं। उन्होंने कहा, “भारत में सिनेमा का जुनून दशकों पुराना है, और यही बात भारत को मेरे लिए इतना खास बनाती है।”

नेटफ्लिक्स ने भारत में पिछले नौ सालों से अपनी मौजूदगी दर्ज की है। सात साल पहले सैफ अली खान की वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ के साथ कंपनी ने भारत में अपनी मजबूत नींव रखी थी। तब से अब तक नेटफ्लिक्स ने भारत के 90 अलग-अलग शहरों में शूटिंग करते हुए करीब 150 मूल फिल्में और सीरीज बनाई हैं।

सारांडोस ने दक्षिण कोरिया के मशहूर शो ‘स्क्विड गेम’ का जिक्र करते हुए कहा कि भारत भी जल्द ही वैश्विक कहानी कहने में बड़ा नाम बनने वाला है। उन्होंने कहा, “भारत कहानीकारों के लिए एक बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ा है। जिस तरह ‘स्क्विड गेम’ ने कोरिया के लिए नया मौका बनाया, उसी तरह भारत भी वैश्विक मंच पर छाने के लिए तैयार है।”

उन्होंने WAVES जैसे आयोजनों को इसका आधार बताया और कहा कि नेटफ्लिक्स जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने भारतीय फिल्म निर्माण को और लोकतांत्रिक बनाया है। ये प्लेटफॉर्म्स भारतीय कंटेंट को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का रास्ता दे रहे हैं।

सिनेमाघर और स्ट्रीमिंग का साथ-साथ चलना

सारांडोस ने यह भी साफ किया कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स और सिनेमाघर एक-दूसरे के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा, “सिनेमाघर पुराने नहीं हुए हैं। स्ट्रीमिंग और सिनेमाघरों को एक-दूसरे का दुश्मन समझना गलत है। भारत में दर्शकों की संख्या इतनी बड़ी है कि दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।”

उन्होंने महामारी के बाद भारतीय सिनेमा के विकास में स्ट्रीमिंग की भूमिका को भी सराहा और कहा कि ये दोनों मिलकर दर्शकों को और बेहतर अनुभव दे सकते हैं। नेटफ्लिक्स की भारत में बढ़ती मौजूदगी और स्थानीय कहानियों पर उसका फोकस इस बात का सबूत है कि कंपनी भारतीय दर्शकों और उनकी संस्कृति को कितना महत्व देती है।

Patrika Mungeli

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