छुरा।छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छुरा नगर में नियम और कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए नगर के एक प्रभावशाली व्यक्ति ने शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर आलीशान कोठी खड़ी कर दी। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में नगर पंचायत महज नोटिस जारी कर अपनी जिम्मेदारी निभाने का ढोंग करती रही, जबकि अवैध कब्जे को रोकने की कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। मामला अब गरमाने लगा है और शिकायतकर्ता ने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
*शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे की शुरुआत*
छुरा नगर के हृदय स्थल माने जाने वाले शीतला मंदिर प्रांगण के पास स्थित शासकीय भूमि खसरा नंबर 558 के टुकड़े पर नगर के एक धन्ना सेठ द्वारा कब्जा कर निर्माण कार्य शुरू किया गया। यह भूमि सार्वजनिक शौचालय के पीछे स्थित है। जब इस अतिक्रमण की भनक विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता मेषनंदन पाण्डेय को लगी, तो उन्होंने तत्काल नगर पंचायत कार्यालय जाकर मौखिक रूप से शिकायत दर्ज करवाई।
*नगर पंचायत का कागजी कार्यवाही तक सीमित रहना*
शिकायत मिलने पर नगर पंचायत ने दिनांक 11 दिसंबर 2023 को अतिक्रमणकर्ता के खिलाफ पहला नोटिस जारी किया। नोटिस में अवैध निर्माण कार्य तत्काल रोकने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके, निर्माण कार्य नहीं रुका और कब्जाधारी ने काम जारी रखा।
इसके बाद, 8 अगस्त 2024 को मेषनंदन पाण्डेय ने छुरा तहसीलदार को लिखित शिकायत दी और इसकी एक प्रतिलिपि सीएमओ कार्यालय में भी सौंपी। फिर भी नगर पंचायत ने केवल औपचारिकता निभाते हुए 10 जनवरी 2024 को दूसरा नोटिस और अंततः 28 फरवरी 2025 को तीसरा नोटिस जारी किया।
परिणामस्वरूप, नगर पंचायत के अधिकारी नोटिस पर नोटिस थमाते रहे और उधर धन्ना सेठ शासकीय भूमि पर अपना महल खड़ा करता रहा।
*शपथ पत्र बना मजाक*
जब पहली शिकायत के बाद नगर पंचायत के अधिकारी कब्जा रोकने पहुंचे थे, तब कब्जाधारी ने एक लिखित शपथ पत्र दिया था जिसमें उसने प्रशासन को भूमि की आवश्यकता होने पर स्वयं कब्जा खाली करने की बात कही थी। लेकिन अब, नगर पंचायत सीएमओ का कहना है कि वह फाइल सफाई कार्य के दौरान कहीं गुम हो गई है। फाइल का गायब होना भी इस प्रकरण में मिलीभगत की आशंका को जन्म देता है।
*जिम्मेदार अधिकारी क्या कहते हैं*
इस गंभीर मामले पर नगर पंचायत छुरा के सीएमओ लालसिंह मरकाम से जब प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने लापरवाही भरा जवाब देते हुए कहा,
"होली के सफाई कार्य के दौरान कब्जाधारी द्वारा दिया गया शपथ पत्र कहीं रख दिया गया था, जो अब मिल नहीं रहा है। फाइल मिलते ही आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।"
*वहीं तहसीलदार छुरा रमेश मेहता ने कहा,*
"नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर पंचायत की है। तहसील कार्यालय को यदि सूचना दी जाएगी तो हम सहयोग के लिए उपस्थित रहेंगे। फिलहाल अभी तक ऐसी कोई सूचना हमें प्राप्त नहीं हुई है।"
*शिकायतकर्ता की चेतावनी: आंदोलन की तैयारी*
मेषनंदन पाण्डेय का कहना है कि अगर "सुशासन तिहार" के दौरान दिए गए आवेदन पर भी कार्रवाई नहीं की गई, तो नगर पंचायत छुरा कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में नगर पंचायत की लापरवाही और संदिग्ध भूमिका को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि यदि अब भी प्रशासन मौन रहा तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
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*मुख्य बिंदु:*
*शासकीय भूमि खसरा नंबर 558 पर अवैध कब्जा।
*नगर पंचायत ने तीन बार नोटिस जारी किया लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं।
*कब्जाधारी ने दिया था शपथ पत्र, जो अब गायब।
*शिकायतकर्ता ने "सुशासन तिहार" के तहत कार्रवाई की मांग की।
*कार्रवाई नहीं होने पर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी।
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