एनटीपीसी-जेएसडब्ल्यू के पीछे हटने के बाद जेपीएल ने हासिल किए बनई और भालुमुड़ा ब्लॉक, अब कुल नौ कोल माइंस के मालिक
रायगढ़।
रायगढ़ के कोल सेक्टर में जिंदल ग्रुप ने अपना दबदबा और मजबूत कर लिया है। एनटीपीसी और जेएसडब्ल्यू के पीछे हटने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बनई और भालुमुड़ा कोल ब्लॉक्स शायद आवंटित नहीं हो पाएंगे, लेकिन नीलामी में जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल) ने दोनों ब्लॉक्स पर कब्जा जमाकर सभी को चौंका दिया।
अब जिंदल समूह के पास कुल नौ कोल ब्लॉक हो गए हैं — गारे पेलमा 4/1, गारे पेलमा 2/2, गारे पेलमा 4/3, गारे पेलमा 4/5, गारे पेलमा 4/6, गारे पेलमा सेक्टर-1, बनई और भालुमुड़ा समेत। इन खदानों से 50 से 100 मिलियन टन तक सालाना उत्पादन का अनुमान है।
2015 के बाद हिंडाल्को, अंबुजा सीमेंट जैसी कंपनियों ने जब रायगढ़ में एंट्री की थी, तब लगा था कि जिंदल ग्रुप को कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी। मगर समय ने करवट ली और हालात उलटे पड़ गए। हिंडाल्को को गारे पेलमा 4/5 ब्लॉक सरेंडर करना पड़ा, जिसे बाद में जेपीएल ने अपने नाम कर लिया। इसी तरह नए ऑक्शन में बनई और भालुमुड़ा भी जिंदल ग्रुप की झोली में चले गए।
देश में पहली बार एक ही कंपनी के पास इतने कोल ब्लॉक एक साथ आए हैं। रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में अब जिंदल समूह का एक विशाल कोल क्लस्टर तैयार हो चुका है, जो आने वाले दिनों में देश के कमर्शियल माइनिंग सेक्टर में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
तमनार पर बढ़ेगा दबाव
तमनार में पहले से जिले का सबसे बड़ा पावर प्लांट — जेपीएल का थर्मल पावर स्टेशन — मौजूद है। अब जब सबसे ज्यादा कोल ब्लॉक भी कंपनी के पास आ गए हैं, तो तमनार पर दबाव और बढ़ना तय है।
कोयला परिवहन और औद्योगिक गतिविधियों की वजह से तमनार की सड़कें जर्जर, और स्वास्थ्य, शिक्षा व पेयजल की स्थिति बेहद खराब है। जबकि राजस्व के मामले में तमनार पूरे जिले में सबसे आगे है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि “जितना विकास की बात होती है, उतनी सुविधाएं नहीं मिलतीं। खदानें बढ़ रही हैं, लेकिन गांवों की हालत जस की तस है।”
अब देखना यह होगा कि जिंदल समूह की इस बड़ी उपलब्धि से तमनार को तरक्की का रास्ता मिलेगा या बोझ और बढ़ेगा।