ग्राम पंचायतों की जानकारी के बिना अधिकारियों ने किए लाखों रुपये के भुगतान, बिना सामग्री के उठाए गए बिल
मुंगेली । एक ओर राज्य सरकार सुशासन और पारदर्शिता के नाम पर "समाधान शिविर" जैसी योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर इन योजनाओं की आड़ में कुछ अधिकारी खुलेआम गबन और भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं।
जनपद पंचायत पथरिया में लगभग ₹16,09,700 (सोलह लाख नौ हजार सात सौ रुपये) की शासकीय राशि के दुरुपयोग का गंभीर मामला उजागर हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम ने पंचायती वित्तीय स्वायत्तता और जनहित योजनाओं की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या है मामला? : "समाधान शिविर (सुशासन तिहार)" के नाम पर जनपद पंचायत पथरिया अंतर्गत 64 ग्राम पंचायतों से संबंधित सामग्री खरीद और व्यवस्था के नाम पर उक्त राशि कुछ चुनिंदा फर्मों के खातों में ट्रांसफर की गई। लेकिन हैरानी की बात यह है कि —
• ग्राम पंचायतों को इसकी जानकारी ही नहीं दी गई।
• डिजिटल सिग्नेचर जनपद कार्यालय में जबरन रखवाकर हुए ट्रांजेक्शन।
• भुगतान जिन फर्मों को किया गया, बिलों में उनका नाम तक नहीं।
• एक ही जैसे नकली/धुंधले बिल और फर्जीवाड़े का खुला खेल।
किसे कितनी राशि मिली?
फर्म का नाम ग्राम पंचायतों की संख्या स्थानांतरित राशि :
श्रीराम बोरवेल्स 39 पंचायतें ₹9,71,500
गौरव ट्रेडर्स 14 पंचायतें ₹3,61,000
खुशी कम्प्यूटर सेंटर 7 पंचायतें ₹1,76,800
राजा ट्रेडर्स पथरिया 3 पंचायतें ₹75,000
पटेल रीवाइंडिंग सेंटर 1 पंचायत ₹25,400
• सभी भुगतान में न तो सामग्री की डिलीवरी है, न फोटो, न ही कोई साइट रिपोर्ट या प्रमाण।
• कई पंचायतों के सरपंच व सचिवों ने बताया कि हमसे बिना पूछे डिजिटल सिग्नेचर जनपद में रखवा लिए गए और भुगतान कर दिए गए।
बड़ा सवाल: बोरवेल/पंप की फर्म का ‘समाधान शिविर’ से क्या लेना-देना? : ग्राम पंचायतों ने साफ कहा कि न कोई बोरवेल लगाया गया, न कोई सामग्री आई। फिर इन ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान क्यों और किसके आदेश से हुआ? इसके अलावा सभी भुगतान कुछ चुनिंदा फर्मों को करना, वही टेम्प्लेट, वही स्टाइल के बिल लगाना, इस बात की ओर इशारा करता है कि पूरी योजना एक संगठित घोटाले का हिस्सा थी।
पंचायती अधिकारों का खुला उल्लंघन : डिजिटल सिग्नेचर जनपद कार्यालय में रखना और बिना अनुमोदन के भुगतान करना, स्पष्ट रूप से पंचायत को मिले वित्तीय स्वायत्तता और अधिकारों का उल्लंघन है। सरपंचों ने दबी जुबान में कहा कि "हमें डर है, इसलिए हम खुलकर नहीं बोल सकते।"
जनता और जनप्रतिनिधियों की मांग: इस गंभीर वित्तीय अनियमितता की स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराई जाए। सभी फर्मों की डिलीवरी, टैक्स इनवॉइस, जीएसटी स्थिति, बैंक स्टेटमेंट की जांच हो। जिन सरपंचों और सचिवों की जानकारी बिना भुगतान हुआ, उन्हें माफ किया जाए और दोषी अधिकारी निलंबित कर प्राथमिकी दर्ज की जाए। संपूर्ण राशि पंचायतों को लौटाई जाए।
इन ग्राम पंचायतों से बिना सूचना निकाली गई राशि: ग्राम पंचायतों को बिना बताए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर जिन 64 पंचायतों की राशि निजी फर्मों को ट्रांसफर की गई, उनमें शामिल हैं : अमलडीहा, अमलीकापा, अंडा, बछेरा, बदरा 'ठ', बगबुढ़वा, बैजना, बरछा, बरदूली, बासीन, बावली, बेलखुरी, भिलाई, बिदबिदा, बिरकोनी, चंदली, चुनचुनिया, दरुवनकापा, धमनी, ढोढमा, धुमा, डिघोरा, गंगद्वारी, घुठेली, घुठिया, गोइंद्रा, हथनीकला, हथकेरा, हिंच्छापूरी, जरेली, जेवरा, झूलनाकला, ककेडी, कलार जेवरा, कंचनपुर, कपूवा, करहि, खैरा, कुकुसदा, लमती, मर्राकोना, मोहभट्ठा, मोहभट्ठा स, मोहदी, मोतिनपुर, पकरिया, परसदा, पिपरलोड, पौसरी, पूछेली, रामबोड, रमतला, रौनाकापा, सकेरी, सकेत, सावतपुर, सांवा, सेंदरी, सिलतरा, सोढ़ी म, सोढ़ी नि, टिकटपेण्ड्री, तोरला और उमरिया।
दीपक साहू ने कलेक्टर से की शिकायत : आज जनदर्शन में दीपक साहू, पार्षद – शिवाजी वार्ड नं. 11 पथरिया एवं संयुक्त महामंत्री, जिला कांग्रेस कमेटी मुंगेली ने कलेक्टर कुंदन कुमार को इस गड़बड़ी की लिखित शिकायत सौंपते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा : "जनपद पथरिया में योजनाओं की राशि को जिस प्रकार निजी फर्मों के खातों में स्थानांतरित किया गया है, यह खुला भ्रष्टाचार है। सरपंचों को जानकारी तक नहीं, उनके डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कर पंचायतों की राशि उड़ाई जा रही है। शासन की योजनाओं को अफसरशाही की लूट में बदल दिया गया है। यह पंचायत स्वशासन का अपमान है। मैं मांग करता हूं कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए।"
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